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आंखों में उम्मीद के सपने, नयी उड़ान भरता हुआ मन, कुछ कर दिखाने का दमखम और दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने का साहस रखने वाला युवा कहा जाता है। युवा शब्द ही मन में उडान और उमंग पैदा करता है।उम्र का यही वह दौर है जब न केवल उस युवा के बल्कि उसके राष्ट्र का भविष्य तय किया जा सकता है। आज के भारत को युवा भारत कहा जाता है क्योंकि हमारे देश में असम्भव को संभव में बदलने वाले युवाओं की संख्या सर्वाधिक है।आज का एक सत्य यह भी है कि युवा बहुत मनमानी करते हैं और किसी की सुनते नहीं। दिशाहीनता की इस स्थिति में युवाओं की ऊर्जाओं का नकारात्मक दिशाओं की ओर मार्गान्तरण व भटकाव होता जा रहा है। लक्ष्यहीनता के माहौल ने युवाओं को इतना दिग्भ्रमित करके रख दिया है कि उन्हें सूझ ही नहीं पड़ रही कि करना क्या है, हो क्या रहा है, और आखिर उनका होगा क्या?आज युवाओ मे धैर्य की कमी, आत्मकेन्द्रिता, नशा, लालच, हिंसा, कामुकता तो जैसे उनके स्वभाव का अंग बनते जा रहे हैं।यह एक चिंतनीय विषय है ! मगर इस समस्या की तह तक अगर हम जाए तो पहला अपराध माता , पिता व अभिभावक का है ! उनकी व्यावसायिक व्यस्तता , व्हट्स अप , फेस बूक पर माता पिता का उलझे रहना युवाओ की तरफ ध्यान केन्द्रित नही कर पाते है ! अभिभावक न युवा के किसी मामले मे अति प्यार के कारण दखल देते है ! हर जायज या नाजायज मांग को पूरा कर देते है ! दूसरा सबसे बड़ा जिम्मेदार आज का समाज है समाज के लिए हर व्यक्ति अपना आर्थिक योगदान नाम के लिए तो देता है मगर समाज के व्यक्ति समाज के युवाओ के लिए नहीं के बराबर मोटीवेशन के लिए आयोजन करती है जिससे युवा पीढ़ी भ्रमित न हो ! जरूरत है अभिभावक व समाज आज के युवाओ के साथ लेकर ऐसे आयोजन करे जिससे युवाओ मे अच्छे संस्कार का निर्माण हो ! युवा संस्कारित होंगे तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा समाज का भविष्य उज्ज्वल होगा ! आओ हम अभिभावक व समाज साथ मे मिलकर युवाओ मे अच्छे संस्कार का निर्माण करे ……… उत्तम जैन (विद्रोही )uttamvidrohi121@gmail.com
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