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भाई बहन का रिश्ता – रक्षाबंधन

विद्रोही विचार
विद्रोही विचार
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rakhi
बहना बांधे
भाई की कलाई पे
प्रेम का धागा ।
तोड़े न टूटे
ऐसा है ये बंधन
कच्चे धागे का ।
भाई बहन का रिश्ता प्यार भरा होता है इसको शब्दों में बयांन करना नामुमकिन है भाई और बहन का रिश्ता मिश्री की तरह मीठा और मखमल की तरह मुलायम होता है। भाई-बहन की लड़ाई के बीच भी प्यार छिपा होता है बड़ी बहन को तो दूसरी माँ भी कहा जाता है ! इस रिश्ते की मोहक अनुभूति को सघनता से अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में यदि आज भी संवेदना, अनुभूति, आत्मीयता, आस्था और अनुराग बरकरार है तो इसकी पृष्ठभूमि में इन त्योहारों का बहुत बड़ा योगदान है। जो लंबी डगर पर चिलचिलाती प्रचंड धूप में हरे-भरे वृक्ष के समान खड़े हैं। रक्षाबंधन के शुभ पर्व पर बहनें अपने भाई से यह वचन चाहती हैं कि आने वाले‍ दिनों में किसी बहन के तन से वस्त्र न खींचा जाए फिर कोई बहन दहेज के लिए मारी ना जाए, फिर किसी बहन का अपहरण ना हो, फिर किसी बहन के चेहरे पर तेजाब न फेंका जाए। और फिर कोई बहन खाप के फैसले से सगे भाई के हाथों मौत के घाट उतारी ना जाए।यह त्योहार तभी सही मायनों में खूबसूरत होगा जब बहन का सम्मान और भाई का चरित्र दोनों कायम रहे। यह रेशमी धागा सिर्फ धागा नहीं है
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