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यों तो देश में समस्याओं की कमी नहीं। जहां नजर डालो, वहां समस्या। कुछ समस्याएं तो ऐसी, जिनका कोई भी, कैसा भी समाधान खोज लीजिए फिर भी समस्या का दंश बना ही रहता है। हमारी राजनीति में तो अनेक प्रकार की समस्याएं हैं, अगर हर एक का निदान करने बैठे तो सालों लग जाएंगे। पर इसकी भी कोई गारंटी नहीं कि समस्या सुलझ ही जाए।तमाम छोटी मोटी समस्याओं के बीच इधर दो-तीन प्रकार की समस्याओं को मैं बहुत शिद्दत से महसूस कर रहा है। ऐसी लगता है, उन समस्याओं के समाधान के बगैर हमारी जिंदगी बेगानी-सी है। मतलब, हम अब पारिवारिक रिश्तों से कहीं ज्यादा उन समस्याओं के विषय में सोचने लगे हैं।ये समस्याएं अनेक प्रकार की हैं और हम उन समस्या से परेशान रहते है !मगर उसके समाधान के लिए काफी कम्पनिया जागरूक है जेसे आपका स्वास्थ्य से सम्बन्धित कोई समस्या है घबराने की जरुरत नही 5 -7 समाचार पत्र खरीद लीजिये टीवी चेनल देख लीजिये सारा अखबार व् टीवी चेनल तरह-तरह के तेलों और कैप्सूलों के विज्ञापनों से भरा पड़ा रहता है। विज्ञापनों में छपने वाले फोटू व् विज्ञापन इस तरह ‘उत्साहित’ कर देते हैं कि वो फलां तेल या कैप्सूल लेने से आप के साथ जादू सा असर करेगा और दो दिन में समस्या गायब । ऐसा लगता है, इंसान की समस्त शारीरिक कमजोरी का समाधान तेल और कैप्सूल में छिपा पड़ा है। एक कुछ दिनों पूर्व एक केश तेल का विज्ञापन पर मेरी नजर पड़ी उसमे चेतावनी दी हुई आपके झड चुके बाल 7 दिन में उगाये और साथ में चेतावनी बालो में तेल डालकर हाथ अच्छे से धोये हथेली पर बाल उग सकते है ! गजब के भ्रामक विज्ञापन समझ में नही आता जन सामान्य को मुर्ख बनाने का क्या तरीका आजमाया जाता है ! बालों के झड़ने की समस्या भी कुछ ऐसी ही है मित्रो टीवी पर फलां-फलां शैम्पूओं के इतने विज्ञापन आते हैं, अक्सर ये ‘कनफ्यूजन’ हो जाता है कि कौन-सा खरीदें और कौन-सा छोड़ दें। हर शैम्पू की दूसरे शैम्पू से बात निराली। कुछ शैम्पूओं के विज्ञापन तो इत्ते ‘क्रांतिकारी’ टाइप के होते हैं कि लगाते ही बाल ‘फेविकोल’ की तरह चिपक जाएं।कभी-कभी तो महसूस होता है कि अगर बंदे-बंदी के बाल झड़ने से न रुके तो चीन कहीं हम पर हमला न कर दे इधर कुछ सालों में विज्ञापनों की ऐसी बाढ़-सी आई है, मानो ये समस्या अगर न सुलझी तो भारतीय पुरुष अन्य देशों के पुरुषों से ‘पिछड़’ जाएंगे! और हां, चेहरे पर झुर्रियों की समस्या तो हमारे इतनी बड़ी है कि देश-समाज की हर बड़ी से बड़ी समस्या उसके आगे फेल है। मजा देखिए, विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली हर क्रीम आपको झट्ट से गोरा-चिट्टा बनाने का दम भरती है। बस एक दफा फलां कंपनी की क्रीम चेहरे पर लगा लीजिए फिर झुर्रियां तो क्या झुर्रियों के बाप तक का साया आपके चेहरे पर पड़ने से रहा। गोरे लगने-दिखने की चाहत ने हमें इतना बेताब कर दिया है …
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